abernews। तालिबान को अफगानिस्तान पर कब्जा किए हुए करीब डेढ़ साल का वक्त हो गया है। जब तालिबान ने कब्जा किया था तो उसने दुनिया से वादा किया थ...
abernews। तालिबान को अफगानिस्तान पर कब्जा किए हुए करीब डेढ़ साल का वक्त हो गया है। जब तालिबान ने कब्जा किया था तो उसने दुनिया से वादा किया था कि अब दुनिया को बदला हुआ तालिबान देखने को मिलेगा। हालांकि सत्ता कब्जाते ही तालिबान ने अपना असली रंग दिखाना शुरू कर दिया है। दरअसल, अफगानिस्तान में तालिबान सरकार ने कंधार में अहमद शाही स्टेडियम में लूटपाट और छेड़छाड़ के मामले में 9 लोगों को सरेआम कोड़े मारे। इतना ही नहीं तालिबान ने चोरी के आरोपी चार लोगों के फुटबॉल स्टेडियम में हाथ काट डाले। मारपीट के दौरान स्थानीय अधिकारी और कंधार के लोग भी मौजूद रहे।
मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, अफगानिस्तान के कांधार प्रांत में अहमद शाही स्टेडियम में चोरी और पुरुषों से दुष्कर्म के नौ आरोपियों पर प्रांत के गवर्नर हाजी जैद की मौजूदगी में 35-40 कोड़ बरसाए। वहीं चोरी के आरोप में चार आरोपियों के हाथ काट दिए गए। बता दें कि पिछले साल भी दिसंबर में तालिबान ने एक व्यक्ति को सरेआम फांसी पर लटका दिया था। ब्रिटेन की शरणार्थी मंत्री और अफगानिस्तान मामलों की जानकार शबनम नसीमी ने ट्वीट करते हुए लिखा था कि तालिबान में लोगों को बिना निष्पक्ष सुनवाई के मारा-पीटा और मौत की सजा दी जा रही है।
अफगान पुनर्वास मंत्री के पूर्व नीति सलाहकार और ब्रिटेन में शरणार्थियों की मंत्री शबनम नसीमी ने कहा कि अंतरराष्ट्रीय निंदा के बावजूद तालिबान ने कट्टरपंथियों के सर्वोच्च नेता के एक आदेश के बाद आरोपियों को कोड़े मारना और सार्वजनिक रूप से फांसी देना फिर से शुरू कर दिया है। साथ ही उन्होंने कहा कि अफगानिस्तान में चोरी, 'नाजायज' संबंध या सामाजिक व्यवहार संहिता का उल्लंघन करने पर 20 से 100 कोड़े की सजा दी जा रही है। सार्वजनिक रूप से कोड़े मारना और फांसी देना यातना और अन्य क्रूर, अमानवीय या अपमानजनक व्यवहार या दंड को प्रतिबंधित करने वाले सार्वभौमिक सिद्धांतों का उल्लंघन का प्रतीक है।
वहीं,संयुक्त राष्ट्र ने भी तालिबान को सार्वजनिक रूप से सजा ना देने को कहा है। संयुक्त राष्ट्र ने इस तरह के गंभीर, क्रूर और अपमानजनक दंडों को तुरंत रोकने का आह्वान किया है। संयुक्त राष्ट्र ने एक बयान में कहा कि 18 नवंबर 2022 के बाद अधिकारियों ने ताखर, लोगर, लगमन, परवान और काबुल सहित कई प्रांतों में करीब 100 महिलाओं और पुरुषों के साथ क्रूर व्यवहार किया है।
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